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नई दिल्ली। चुनावों के समय आचार संहिता शब्द काफी प्रयोग में होता है। यह आचार संहिता क्या है और चुनावों के समय क्यों लागू होती है, आइए जानते हैं। दरअसल आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का समान स्तर उपलब्ध कराना प्रचार, अभियान को निष्पक्ष तथा स्वस्थ्य रखना, दलों के बीच झगड़ों तथा विवादों को टालना है। इसका उद्देश्य केन्द्र या राज्यों की सत्ताधारी पार्टी आम चुनाव में अनुचित लाभ लेने से सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग रोकना है।
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आदर्श आचार संहिता विकास गतिविधियों में बाधक नहीं
अकसर यह शिकायत सुनने को मिलती है कि आदर्श आचार संहिता विकास गतिविधियों की राह में बाधा बनकर आ जाती है। लेकिन आदर्श आचार संहिता के सीमित अवधि में लागू किये जाने पर भी जारी विकास गतिविधियां रोकी नहीं जाती और उन्हें बिना किसी बाधा के आगे जारी रखने की अनुमति दी जाती है और ऐसी नई परियोजनाएं चुनाव पूरी होने तक टाल दी जाती हैं जो शुरू नहीं हुई हैं। ऐसे काम जिनके लिए अकारण प्रतीक्षा नहीं की जा सकती (आपदा की स्थिति में राहत कार्य आदि) उन्हें मंजूरी के लिए आयोग को भेजा जा सकता है।
राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए आचार संहिता से जुड़ी कुछ मुख्य बातें इस प्रकार है : -
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---PTC NEWS----
राजनीतिक दलों तथा उम्मीदवारों के सामान्य आचरण के लिए दिशानिर्देश (निजी जीवन पर कोई हमला नहीं, साम्प्रदायिक भावनाओं वाली कोई अपील नहीं, बैठकों में अनुशासन और शिष्टाचार, जुलूस, सत्तारूढ़ दल के लिए दिशानिर्देश- सरकारी मशीनरी तथा सुविधाओं का उपयोग चुनाव के लिए नहीं किया जाएगा, मंत्रियों तथा अन्य अधिकारियों द्वारा अनुदानों, नई योजनाओं आदि की घोषणा पर प्रतिबंध) है।
· मंत्रियों तथा सरकारी पद पर आसीन लोगों को सरकारी यात्रा के साथ चुनाव यात्रा को जोड़ने की अनुमति नहीं।
· सार्वजनिक कोष की कीमत पर विज्ञापनों के जारी करने पर पाबंदी।
· अनुदानों, नई योजनाओं/परियोजनाओं की घोषणा नहीं की जा सकती। आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले घोषित ऐसी योजनाएं जिनका क्रियान्वयन आरंभ नहीं हुआ है, उन्हें लम्बित स्थिति में रखने की आवश्यकता।
· ऐसे प्रतिबंधों के माध्यम से सत्ता में रहने के लाभ को रोका जाता है तथा बराबरी के आधार पर चुनाव लड़ने का अवसर उम्मीदवारों को प्रदान किया जाता है।
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