गांवों को कोरोना से बचाने के लिए सरकार ने तेज की मुहिम, जारी किए नए दिशा निर्देश

By  Arvind Kumar May 17th 2021 06:21 PM -- Updated: May 17th 2021 06:44 PM

नई दिल्ली। इन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना को हराने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान जारी है। इसी कड़ी में पहले शहरी क्षेत्रों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया गया और अब देश के ग्रामीण हिस्सों में भी इस पर तेजी के साथ काम शुरू कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण को ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने से रोकने के लिए नए दिशा निर्देश भी जारी किए हैं।

सरकार ने शहरी क्षेत्रों से सटे इलाकों और ग्रामीण इलाकों में जहां घर पर पृथक वास संभव नहीं है, वहां दूसरी बीमारियों से ग्रसित बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए कोविड देखभाल केंद्र बनाने की सलाह दी है। ये केंद्र न्यूनतम 30 बिस्तर वाले होंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि उप केंद्रों या स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों समेत सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में रैपिड एंटीजन जांच (आरएटी) किट्स उपलब्ध होनी चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड देखभाल केंद्र (सीसीसी) किसी संदिग्ध या संक्रमित व्यक्ति को भर्ती कर सकते हैं, लेकिन उनके लिए अलग जगह और साथ ही उनके प्रवेश और निकासी के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए। एस.ओ.पी. में कहा गया है, ‘‘संदिग्ध और संक्रमित व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में एक साथ नहीं रखा जाना चाहिए।’’

बीमारी के लक्षण वाले मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) फोन पर परामर्श दे सकते हैं, और अन्य बीमारी से पीड़ित या कम ऑक्सीजन स्तर वाले मरीजों को उच्च केंद्रों में भर्ती कराया जाना चाहिए। एस.ओ.पी. में कहा गया है कि सीएचओ और एएनएम को रैपिड एंटीजन जांच करने में प्रशिक्षित होना चाहिए। मामले बढ़ने और मामलों की संख्या के आधार पर जितना संभव हो संपर्क में आए लोगों का पता लगाया जाए।

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एस.ओ.पी. में कहा गया है, ‘‘कोविड-19 के करीब 80-85 प्रतिशत मामले बिना लक्षण/हल्के लक्षण वाले होते हैं। इन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं होती और इनका घर पर या कोविड देखभाल पृथकवास केंद्रों में इलाज किया जा सकता है।’’

चूंकि कोविड मरीजों की निगरानी के लिए ऑक्सीजन स्तर पर नजर रखना महत्वपूर्ण है तो प्रत्येक गांव में पर्याप्त संख्या में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर होने चाहिए। एस.ओ.पी. में आशा/आंगनबाड़ी कर्मियों तथा गांव स्तर के स्वयंसेवकों की मदद से संक्रमित लोगों को पल्स ऑक्सीमीटर तथा थर्मामीटर मुहैया कराने की सिफारिश की गई है।

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