Himachal: बेपरवाह होती सियासत, बेबफा होते नेता, क्यों हो रहा राजनीति का चीरहरण....

By  Rahul Rana March 4th 2024 08:44 AM

शिमला: पराक्रम चन्द:  सियासत भी न जाने क्या क्या रंग दिखाती है। कभी उगता सूरज बन जाती है तो कभी काळी स्याह रात। हिमाचल की सियासत का सूरज 14 माह पहले जितनी तेजी से उगा। उतनी तेजी से अस्त होने की कगार पर खड़ा है। ये रात किस दल के लिए गहरी काळी होगी और किस के लिए नया सूरज निकलेगा ये भविष्य के गर्भ में हैं।

हिमाचल की राजनीति में आजकल सतरंज का खेल चल रहा है। राजा-रानी सब अपने -अपने प्यादों को लेकर चाल चल रहें हैं। खेल लम्बा खिंचेगा या शय मात के खेल को विराम लगेगा इंतजार करना होगा। सतरंज तो महाभारत में भी खेला गया था उस वक़्त द्रोपदी का चीरहरण हुआ था आज शांत राज्य हिमाचल की राजनीति का चीरहरण हो रहा है।

जनता मुकदर्शक बनी हुई है। चीरहरण को देख रही है। मतदान के वक़्त महाभारत का अंत होगा या नहीं, उस वक़्त कौन नँगा होगा इसके लिए इंतज़ार करना पड़ेगा। राजनीति में उठापटक का ये खेल नया नही है, सत्ता की भूख मिटाने के लिए सदियों से शय मात होती रही है। लेकिन हिमाचल के सियासी हालात का पटाक्षेप कहाँ जाकर होता है, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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