नेताओं के सामाजिक बहिष्कार पर फिर हुई खापों की बैठक, कहा- राजनीति से प्रेरित था फैसला

By  Arvind Kumar December 7th 2020 11:28 AM

जींद। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, सांसद बृजेंद्र सिंह सहित अन्य बांगर के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार करने के खाप फरमान के बाद इस फैसले के विरोध में खाप के प्रधान, खाप के गांवों के सरपंच सहित गणमान्य लोगों ने एकत्रित होकर विरोध जताया। इस फैसले को पूरी तरह से राजनीति प्रेरित बताते हुए कड़े शब्दों में निंदा की गई। उचाना हलके के सफा खेड़ी गांव में एकत्रित हुए चहल, दाड़न खाप के लोगों की बैठक की अध्यक्षता दाड़न खाप चबूतरा उचाना कलां के प्रधान सतपाल श्योकंद ने की।

Khap meeting नेताओं के सामाजिक बहिष्कार पर फिर हुई खापों की बैठक, कहा- राजनीति से प्रेरित था फैसला

बता दें कि शनिवार को पालवां चबूतरे पर किसानों की पंचायत हुई थी। पंचायत के बाद खाप के प्रधान, महासचिव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें बांगर के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार किए जाने के बयान वो पंचायत होने के बाद दे रहे थे।

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सतपाल श्योकंद ने कहा कि खाप के नाम पर अपनी राजनीति को चमकाने के लिए किसान महापंचायत बुलाई गई थी। पंचायत में जो फैसले पास हुए थे उन फैसलों में सांसद बृजेंद्र सिंह सहित किसी भी बांगर के नेता का सामाजिक बहिष्कार करने का कोई भी प्रस्ताव नहीं था। प्रस्ताव न होने के बाद भी इस तरह का बयान दे कर अपनी राजनीति चमका रहे है।

पंचायत खत्म होने के बाद बयान देकर खुद की राजनीति इन नेताओं के नाम पर चमकाने का काम किया है। इस तरह के फैसले से खापों को भी आघात पहुंचा है। खापें हमेशा जोड़ने का काम करती है न की तोड़ने का। खाप के नाम पर राजनीति करना बिल्कुल गलत है। किसानों के लिए राजनीति करनी है तो दिल्ली बॉर्डर पर जाकर बैठे न कि यहां पर किसानों के नाम पर बैठक कर फोटो खिंचवाने से कोई नेता नहीं बनता है।

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झील गांव के सरपंच प्रदीप मोर ने कहा कि वो खुद इस पंचायत में शामिल हुए थे, क्योंकि पंचायत दिल्ली में किसानों का समर्थन करने को लेकर हुई थी। जिस समय प्रस्ताव पास किए गए उस समय ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं था जिसमें सांसद बृजेंद्र सिंह सहित बांगर के अन्य नेताओं का सामाजिक बहिष्कार का प्रस्ताव भी हो।

वहीं चहल खाप से एवं बड़ौदा गांव के पूर्व सरपंच धर्मेंद्र चहल ने बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह कैथल में कह चुके हैं कि किसानों के लिए वो अपनी राजनीति छोड़ सकते हैं। किसानों के हितों को लेकर वो शुरू से ही उनकी आवाज को उठा रहे हैं। राजनीति से पहले उनके लिए किसान है। कुछ लोगों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए किसान पंचायत के नाम पर इस तरह का भ्रामक प्रचार फैलाया है। पंचायत में इस तरह का कोई फैसला नहीं हुआ जिसमें बांगर के नेताओं सामाजिक बहिष्कार किया हो।

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