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Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान का अपना महत्व है। इस दिन लोग नदियों में स्नान के साथ साथ घाटों पर दान इत्यादि करते हैं। दूर दूर से श्रद्धालु मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के प्रकोप के चलते हरिद्वार में गंगा स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया है।
तीर्थ नगरी हरिद्वार में भी करोना और नए वेरिएंट ओमीक्रोन का खतरा बना हुआ है। ऐसे में बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी और जिलाधिकारी ने ये फैसला लिया है। जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने मकर सक्रांति के पर्व पर होने वाले गंगा स्नान पर रोक लगा दी है। इस आदेश के साथ हर की पौड़ी क्षेत्र पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश न मानने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए हरिद्वार के साथ ही ऋषिकेश में भी सभी घाटों पर मकर संक्रांति के पर्व पर गंगा स्नान करने पर रोक लगा दी गई है। यहां भी श्रद्धालु मकर संक्रांति पर गंगा स्नान नहीं कर पाएंगे।
दरअसल कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए व्यवस्था बनाए रखना जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में अगर मकर संक्रांति के पर्व पर गंगा स्नान की इजाजत दे दी जाती तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु घाटों पर पहुंचते इससे कोरोना के फैलने का खतरा और बढ़ जाता। भीड़ में कोरोना नियमों की पालना करवाना भी एक चुनौती की तरह होता।
मकर संक्रान्ति पर नदियों में स्नान का महत्व
मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मकर संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है। माना जाता है कि संक्रांति के दिन जो व्यक्ति बिना स्नान-दान किए बिना भोजन ग्रहण करता है उसको शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं।-