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लाल बहादुर शास्त्री जयंती: प्रधानमंत्री रहते हुए भी कर्जदार थे शास्त्री, कोट के नीचे पहन लेते थे फटा स्वेटर

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- October 02nd 2022 01:08 PM
लाल बहादुर शास्त्री जयंती: प्रधानमंत्री रहते हुए भी कर्जदार थे शास्त्री, कोट के नीचे पहन लेते थे फटा स्वेटर

लाल बहादुर शास्त्री जयंती: प्रधानमंत्री रहते हुए भी कर्जदार थे शास्त्री, कोट के नीचे पहन लेते थे फटा स्वेटर

पीएम मोदी ने रविवार को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लाल बहादुर शास्त्री जी की उनकी सादगी तथा निर्णय क्षमता के लिए पूरे भारत में प्रशंसा की जाती है। हमारे इतिहास के बेहद अहम मौके पर उनके मजबूत नेतृत्व को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि।’’ लाल बहादुर शास्त्री ने 1921 के असहयोग आंदोलन से लेकर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। शास्त्री जी 16 साल की उम्र में गांधी जी के साथ देशवासियों के लिए असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे। देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने बैंक से कार खरीदने के लिए कर्जा ले रखा था। बैंक ने खुद उनसे कर्ज माफ करने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने उस कर्ज को पेंशन से चुकाया था। उनकी वह कार अब नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखी गई है। बचपन में ही पिता का देहांत हो गया था। उनका छात्र जीवन कठिनाइयों से भरा रहा। नदी को तैर कर पार करने के बाद वो स्कूल पहुंचते थे। इस देश और दुनिया में राजनेताओं की सादगी की जब-जब मिसाल दी जाएगी, तब-तब शास्त्री जी नाम सबसे पहले लिया जाएगा। वह प्रधानमंत्री रहते हुए भी रफ्फू की गई धोती और कुर्ता पहने हुए नजर आए थे। कोट के नीचे वो फटा हुआ स्वेटर भी पहन लेते थे। शास्त्री जी के कपड़ों की अलमारी खोली गई और उनके फटे पुराने कुर्ते निकाल कर फेंके जाने लगे। उन्हें जब पता चला कि उनके खादी के पुराने कुर्ते फेंके जा रहे हैं तो वो आए और कुर्तों को वापस अलमारी में रख दिया। घरवालों के साथ साथ नौकर चाकर भी हैरान थे। शास्त्री जी ने कहा कि खादी के कुर्ते हैं, इन्हें बनाने में जाने कितना प्यार और कितनी मेहनत लगी होगी। इन्हें फेंकों मत,जब सर्दियां आएंगी तो मैं इन्हें कोट के नीचे पहन लूंगा। 1964 में भारत गेहूं के संकट और अकाल जूझ रहा था। इस संकट से उबारने के लिए शास्त्री ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया। किसानों में उत्साह भरने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए खुद हल चलाया। संकट के काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी तनख्वाह लेना बंद कर दिया था। देश के लोगों से लाल बहादुर शास्त्री ने अपील की थी कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 09 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे। शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा। उनका कार्यकाल 11 जनवरी 1966 तक रहा। भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद उज्बेकिस्तान के ताशकंद में रहस्यमयी तरीके से उनका निधन हो गया था। उनकी मौत पर आज भी संशय बरकरार है।  


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