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दीपेंद्र हुड्डा बोले- सरकार जिद छोड़कर किसानों से बात करे और उनकी मांगें स्वीकार करे

Written by  Arvind Kumar -- June 26th 2021 07:01 PM
दीपेंद्र हुड्डा बोले- सरकार जिद छोड़कर किसानों से बात करे और उनकी मांगें स्वीकार करे

दीपेंद्र हुड्डा बोले- सरकार जिद छोड़कर किसानों से बात करे और उनकी मांगें स्वीकार करे

चंडीगढ़। कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसानों ने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से देशभर में कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाया और कहीं अनुशासन नहीं तोड़ा, इसके लिये उनको धन्यवाद। उन्होंने कहा कि 3 कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसानों ने पिछले 7 महीने से कड़ाके की ठंड झेली, तपती गर्मी की लू झेली, पुलिस की लाठियाँ और सरकारी अत्याचार झेला, निरंतर अपना अपमान झेला, सैकड़ों साथियों की शहादत का गम झेला और अब बरसात झेल रहे हैं। इतना ही नहीं, देश के किसान पिछले 7 साल से अहंकारी सत्ता के दमन चक्र को भी सह रहे हैं। सरकार का हृदय इतना कठोर क्यों है? ये अपने ही लोग हैं, क्या सरकार इनके दुःख को महसूस नहीं कर पा रही? सरकार को जिद और अहंकार छोड़कर किसानों से बात कर मांग स्वीकार करनी चाहिए। दीपेंद्र ने कहा कि एक तरफ देश के कृषि मंत्री कह रहे हैं कि भारत सरकार कानून के किसी भी प्रावधान पर बात करने के लिए भी तैयार है और उसका निराकरण करने के लिए भी तैयार है। तो फिर सरकार किसानों द्वारा बातचीत शुरू करने के प्रस्ताव को क्यों नहीं मान रही? किसानों के प्रस्ताव पर सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये से ऐसा लगता है कि सरकार को देश के किसानों की कोई चिंता ही नहीं है। यह भी पढ़ें- अंबाला में वैक्सीनेशन को लेकर नया आयाम स्थापित यह भी पढ़ें- आप नेता मनोज राठी को 1 करोड़ की मानहानि का नोटिस Deepender Hooda on Farmers Protest उन्होंने कहा कि सरकार आन्दोलन को समाप्त करवाना ही नहीं चाहती। उसे कोरोना महामारी के फैलने की भी कोई चिंता नहीं है। सरकार किसानों के धैर्य का इम्तेहान ले रही है। वो सोचती है कि किसान परेशान होकर अपने आप घर चले जायेंगे, जो उसकी बड़ी भूल है। सरकार देश के किसानों और देश की जनता को गुमराह क्यों कर रही है? अगर सरकार वास्तव में किसानों की समस्या का समाधान करना चाहती है तो वो वार्ता का दिन, स्थान, समय तय कर उसकी सार्वजनिक घोषणा करे। Congress Leader Deepender Hooda"सरकार लगातार किसान विरोधी नीतियों से, तरह-तरह के हथकंडों से किसानों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है। आंदोलन में शामिल किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है। लोकतांत्रिक दायरे में चल रहे इस आन्दोलन को सरकार जितना भी दबाने का प्रयास करेगी, यह आंदोलन उतना ही मजबूत होता जाएगा। "


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