नगर निगम शिमला का चुनावी दंगल, जानिए क्यों इस बार के चुनाव हैं दोनों पार्टियों के लिए खास
ब्यूरो: नगर निगम शिमला का चुनावी दंगल शुरू होने वाला है। जिसको देखते हुए अब चुनावी सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। हालांकि वैसे तो नगर निगम शिमला का चुनाव 1 साल देरी से हो रहा है। क्योंकि पिछली भाजपा सरकार ने 34 वार्डों को बढ़ाकर 41 किया। उसके बाद पूनर सीमांकन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए कांग्रेस की तरफ से उच्च न्यायालय में एक याचिका डाली गई। परिणामस्वरूप मामला अधर में लटक गया। कांग्रेस सरकार के सत्ता में आते ही अब वार्डों की संख्या को पहले की तरह 34 कर दिया गया है, और चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
नगर निगम चुनाव भाजपा एवं कांग्रेस दोनों के लिए ही नाक और साख का सवाल है। क्योंकि भाजपा 2017 के नगर निगम चुनाव में पहली बार सत्ता पर काबिज हुई थी। इससे पहले नगर निगम शिमला पर कांग्रेस पार्टी का ही एकछत्र राज रहा। इस बार चुनाव में जहां मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अग्निपरीक्षा होगी वहीं जयराम ठाकुर की साख भी दांव पर लगी है।
आपको बता दें कि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना राजनीतिक सफर नगर निगम शिमला चुनाव के पार्षद के रूप में किया था। ऐसे में कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगी तो दूसरी तरफ भाजपा सत्ता से बाहर होने का गम अभी भुला नहीं पाई है। ऐसे में भाजपा दोबारा से नगर निगम शिमला की सत्ता हासिल करना चाहेगी। यही वजह है कि दोनों दल नगर निगम शिमला के चुनावी शंखनाद होने से पहले ही तैयारियों में जुट चुके हैं।
2017 में हुए नगर निगम शिमला के चुनावों में 34 सीटों में से 17 भाजपा ने जीती थी। जबकि 12 पर कांग्रेस का कब्जा हुआ निर्दलीय चार और एक सीट माकपा की झोली में आई। भाजपा ने जोड़-तोड़ कर एक सीट की कमी को पूरा कर नगर निगम शिमला पर पहली बार अपने मेयर व डिप्टी मेयर बिठा दिए। हालाँकि एक साल से नगर निगम शिमला बिना मेयर के है व डीसी शिमला को निगम के कामकाज का जिम्मा दिया गया है।
शिमला नगर निगम हिमाचल प्रदेश के पांच नगर निगमों में से एक नगर निगम है। यह नगर निगम सन 1851 से लगातार कार्य कर रहा है। सर्वप्रथम पंजाब सरकार द्वारा 1876 में नगर बोर्ड शिमला का गठन किया गया था, उस समय बोर्ड में 19 सदस्य थे। इनमें से सात अधिकारी तथा 12 गैर अधिकार होते थे। बारह गैर अधिकारी सदस्यों में से नौ सदस्य चुनकर आते थे, जबकि तीन सदस्यों को सरकार द्वारा नामांकित किया जाता था। 1962 में सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई। उस समय तक नगर सरकार का स्वरूप पंजाब में संचालित होता था, लेकिन हिमाचल प्रदेश के पुनर्गठन के बाद 1968 में हिमाचल प्रदेश नगर पालिका अधिनियम लागू चालू किया गया।
गौरतलब है कि 14 मई 1986 को नगर निगम शिमला के पहली बार चुनाव हुए। 2017 तक कांग्रेस पार्टी ही नगर निगम शिमला पर काबिज रही। लेकिन 2017 में हिमाचल में वीरभद्र सरकार के होते हुए भाजपा ने नगर निगम को हथिया लिया। 21 वार्डों के नगर निगम को पहले 24 किया गया और अब 34 वार्ड बना दिये गए हैं।
प्रकारम चंद, संवाददाता
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