स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सिद्धू ने सरेंडर के लिए SC से मांगा समय, कोर्ट ने सुनाई है 1 साल की सजा
रोड रेज मामले में एक साल की सजा सुनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू को आज पटियाला कोर्ट में सरेंडर करना था। सिद्धू ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सरेंडर के लिए कुछ समय की मौहलत मांगी है। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में सरेंडर से राहत की अर्जी पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी है।
वहीं, सिद्धू की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा इसे सीजेआई की बेंच के सामक्ष रखा जाए। सीजेआई के समक्ष सिद्धू के वकील ने इसपर तुरंत सुनवाई की मांग की थी, लेकिन सीजेआई ने इसकी इजाजत नहीं दी और कहा कि वह रजिस्ट्री के पास जाकर पहले याचिका दें।
बता दें कि कल सिद्धू को 34 साल पुराने रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई थी। 34 साल पहले हुए इस रोड रेज मामले में मृतक के परिवार ने रिव्यू पिटीशन दायर की थी। आज इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सिद्धू को एक साल सश्रम यानी कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी।
इससे पहले सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ रोडरेज मामले में दायर पुनर्विचार याचिका खारिज करने की अपीली की थी। सिद्धू ने पुनर्विचार याचिका के जवाब में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि यह मामला 34 साल पुराना है और याचिका विचार योगय नहीं है। सिद्धू ने अपनी साफ सुथरी छवि का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से मामले में उनकी सजा में बदलाव नहीं करने का आग्रह भी किया था।
2018 में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के 15 मई 2018 के सुनाए गए आदेश को पलट दिया था, जिसमें रोडरेज के मामले में सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के अपराध में मुजरिम ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 65 साल के बुजुर्ग को जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए सिद्धू को दोषी माना था। इसके लिए सिद्धू को मात्र एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।
सिद्धू को सुनाई इस सजा से मृतक का परिवार संतुष्ट नहीं था। इसके बाद मृतक के परिवार ने सिद्धू के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। IPC की धारा 323 के तहत इस अपराध के लिए अधिकतम एक साल जेल की सजा या एक हजार रुपये जुर्माने या फिर दोनों सजाओं का प्रावधान है।
ये है मामला
27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे। यहां कार पार्किंग को लेकर सिद्धू का मृतक गुरनाम सिंह के साथ विवाद हो गया। सिद्धू ने गुस्से में आकर 66 साल के गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। इसके बाद गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। इससे गुरनाम सिंह बेहोश होकर नीचे गिर गए। अस्पताल में उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह दिल का दौरा बताया गया। पटियाला पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।
निचली अदालत ने 1999 में सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने 2006 में सिद्धू को इस मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी। सिद्धू तब भाजपा के अमृतसर से सांसद थे। इसके बाद सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। उस समय अरुण जेटली ने उनका केस लड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हाईकोर्ट की सजा को पलट दिया था।