चंडीगढ़। हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश में लगभग 500 खरीद केंद्रों पर फसल की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है। इस बार लगभग 80 लाख मीट्रिक टन गेंहू आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि किसान जब अपनी फसल बेचने के लिए खरीद केंद्र या मंडी में लेकर आएगा तो उसे जे फार्म मिलेगा, और 40 घंटे के अंदर किसान को उसकी फसल की कीमत की अदायगी हो जाएगी। यदि 72 घंटे में किसान को अदायगी नहीं हुई तो सरकार उस राशि पर 9 प्रतिशत ब्याज देगी। दुष्यंत चौटाला शुक्रवार को गुरूग्राम जिला के गांव बंधवाड़ी के पास नवनिर्मित फलाईओवर का उद्घाटन करने उपरांत मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे थे।
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'फसल की सरकारी खरीद में कोताही पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई'
हिसार दौरे के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए दुष्यंत चौटाला ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना लोकतंत्र में सबका अधिकार है। हमारा लक्ष्य है कि किसान को उसकी फसल का उचित दाम तय समय पर दिया जाए और वह राशि सीधे उसके खाते में पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस बार 6 फसल एमएसपी अर्थात् न्युनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही है। इस प्रकार के एक-एक कदम किसान को मजबूती देंगे। किसानों को गेहूं और सरसों की फसल का एक-एक दाना खरीदने का भरोसा दिलाते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने खरीद के व्यापक प्रबंध किए हैं। पहली बार सरकारी खरीद ऐजेंसियों ने 1 अप्रैल से गेहूं और सरसों की खरीद शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि सरसों का ओपन मार्केट में किसानों को अच्छा भाव मिल रहा है जोकि 5200 रुपये से लेकर 5400 रुपये प्रति क्विंटल बताया जा रहा है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद है कि इस महामारी के दौर में किसान को अपनी फसल बेचने के लिए परेशान न होना पड़े। इसके लिए मंडियों में खरीद की समुचित व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं खरीद कार्य पर रिपोर्ट ले रहे थे। इस दौरान केवल पलवल में थोड़ी परेशनी हुई थी, जिस पर उन्होंने तुरंत अधिकारियों को समाधान के निर्देश दिए।
'फसल की सरकारी खरीद में कोताही पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई'
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि किसानों की फसल की सरकारी खरीद में किसी प्रकार की कोताही पाई गई तो जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है कि जो भी पंजीकृत किसान हैं, उन्हें जिस दिन मंडी या खरीद केंद्र में फसल बिक्री के लिए बुलाया जाए तो उसकी फसल तुरंत खरीदी जाए।
'फसल की सरकारी खरीद में कोताही पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई'
उन्होंने बताया कि सरकार ने यह विकल्प भी दे रखा है कि 50 प्रतिशत किसानों को सरकार बुलाएगी और 20 प्रतिशत किसान, जिनकी फसल पक चुकी है तथा वे चाहते हैं कि सरकार उनकी फसल पहले खरीदे, वे अपने आपको रजिस्टर करवा सकते हैं, उनको भी टोकन दिया जाएगा। इसके अलावा, 30 प्रतिशत किसान बुलाने का अधिकार आढ़तियों को भी दिया गया है।