किसानों की बर्बाद नरमे की फसल की तुरंत स्पेशल गिरदावरी कर पूरा मुआवजा दे सरकार: सुरजेवाला

By  Arvind Kumar September 1st 2020 05:52 PM

चंडीगढ़। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रदेश में किसानों की नरमे की फसल के बिल्कुल तबाह होने पर चिंता व्यक्त करते हुए भाजपा-जजपा सरकार से तुरंत नरमा व कपास की स्पेशल गिरदावरी करवाकर किसानों को पूरा मुआवजा देने की मांग की है।  सुरजेवाला ने यहाँ जारी वक्तव्य में कहा कि दुःख का विषय है की खट्टर-चौटाला सरकार ने अभी तक किसानों का पिछले साल का मुआवजा भी नहीं दिया है और किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की नरमा की फसल की तुरंत स्पेशल गिरदावरी करवाकर मुआवजा नहीं दिया तो कांग्रेस पार्टी के नेता और कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतर बड़ा आंदोलन करने के लिए पूरी तरह तत्पर हैं। सुरजेवाला ने कहा कि इस साल सफ़ेद मक्खी, उखेड़ा बीमारी, प्राकृतिक आपदा व टिड्डी दल के आक्रमणों ने प्रदेश के नरमा व कपास उत्पादक किसानों को तोड़कर रख दिया है। पूरे प्रदेश में बहुसंख्यक नरमा-कपास किसानों की 70 से 90 फीसदी फसल बर्बाद हो चुकी है। किसानों को एक एकड़ से करीब 60 हजार रुपये की फसल होनी थी और वह फसल लागत का 10 हजार खर्च भी कर चुका है। ऐसे में किसानों को 40 से 50 हजार रुपये का नुकसान हुआ है, लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने किसानों की इस दुर्दशा की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही। विभिन्न बिमारियों को लेकर सरकार ने समय रहते किसानों का उचित मार्गदर्शन नहीं किया, जिस कारण उखेड़ा (पैराविल्ट), सफेद मक्खी जैसी बीमारियों ने नरमा व कपास को घेर लिया, और किसान वर्ग आज बर्बादी के कगार पर है। Government should give full compensation to farmers सुरजेवाला ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार प्रदेश के 14 जिलों में 18 लाख 18 हज़ार एकड़ भूमि पर नरमा व कपास की फसल होती है। सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी, महेन्द्रगढ़ जैसे जिलों में सर्वाधिक कपास व नरमा की फसल की खेती होती है, लेकिन इन प्रमुख जिलों में ही कपास को सफेद मक्खी, उखेड़ा व स्थानीय भाषा की बीमारी 'सुटा मार गया' ने पूरी तरह से तबाह कर दिया है। इसके बावजूद अपने आप को किसान हितैषी बताने वाली भाजपा-जजपा सरकार की ओर से अभी तक गिरदावरी के आदेश भी जारी नहीं किए गए हैं। सुरजेवाला ने कहा कि निरंतर बढ़ती महंगाई और कोविड-19 महामारी के कारण किसान वैसे ही काफी परेशान था। प्रदेश की सरकार की गलत नीतियों की वजह से इस साल किसानों को अपनी गेहूं की फसल बेचने में इधर-उधर घूमना पड़ा, इस दौरान उनका समय तो खराब हुआ ही साथ ही संसाधनों खर्च हुए और फिर किसानों को उनकी गेहूं की फसल का पैसा देने में सरकार ने काफी देरी की। सुरजेवाला ने कहा कि इसके अलावा किसानों पर दोहरी मार करते हुए सरकार ने डीजल की कीमतें बढ़ा दी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल कीमत कम होने के बावजूद भी किसानों को 73 -74 रुपये प्रति लीटर डीजल खरीदना पड़ा। अगर सरकार कच्चे तेल की कीमत घटने के आधार पर डीजल की कीमतें लागू करती तो यह डीजल किसानों को 30 रुपये प्रति लीटर उपलब्ध हो सकता है। लेकिन मौजूदा खट्टर-चौटाला सरकार किसानों के प्रति इतना संवेदनहीन हो गई है कि किसानों को राहत देने की बजाए उसे बर्बाद करने पर तुली है। रिकॉर्ड की बात है की मोदी सरकार देश में कृषि उपकरणों व खाद, बीज तथा कीटनाशक पर जीएसटी लगाने वाली यह पहली सरकार है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा की अब जब पूरी तरह से हताश हो चुके किसानों की नरमा की फसल बर्बाद हुई है तो भी खट्टर-चौटाला सरकार इससे बिलकुल बेपरवाह है और किसानों को कोई राहत नहीं दे रही। फसल बीमा योजना को हरियाणा के किसानों ने पूरी तरह नकार दिया है क्योंकि फसल बीमा के नाम पर किसानों के खाते से बीमा कंपनियां पहले ही प्रीमियम निकाल लेती है, लेकिन मुआवजे के लिए उन्हें दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर किया जाता है। हमारी मांग है की भाजपा सरकार को कांग्रेस की तर्ज पर किसानों को सीधी राहत देने की घोषणा करनी चाहिए। ---PTC NEWS---

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