बठिंडा। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने केंद्र के साथ-साथ पंजाब की कांग्रेस सरकार से मांग की है कि आम आदमी को जरूरी राहत देने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में पांच रूपये प्रति लीटर कम की जाएं। उन्होंने कहा कि पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी के बाद आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ी हैं तथा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए इन कीमतों को तत्काल कम किया जाना चाहिए।
हरसिमरत बादल की मांग, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी करे केंद्र और पंजाब सरकार
कांग्रेस सरकार से पेट्रोल तथा डीजल दोनों पर वैट पांच रूपये प्रति लीटर कम करने की मांग करते हुए हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि यह अजीब बात है कि ऐसा करने की बजाय पंजाब कांग्रेस ने 1 मार्च को पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को कम करने के लिए नकली विरोध की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार वास्तव में लोगों की भलाई को लेकर चिंतित है तो उसे पंजाब में कीमतों में कमी लाने के लिए पेट्रोल तथा डीजल पर वैट कम करना चाहिए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि ऐसा करने की बजाय कांग्रेस फर्जी विरोध का सहारा लेकर लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है।
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हरसिमरत बादल की मांग, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी करे केंद्र और पंजाब सरकार
बठिंडा की सांसद ने यह भी मांग की कि कांग्रेस सरकार अपने पिछले बजट में जनता से किए गए सभी वादों को पूरा करे। उन्होंने कहा कि पूर्ण खेती कर्जा माफी के लिए प्रावधान करने के अलावा, सरकार को वादे के अनुसार शगुन राशि के 51000, बुढ़ापा पैंशन तथा विधवा पैंशन में बढ़ोतरी के साथ साथ नौजवानों के लिए वादा किए गए रोजगार के अलावा 2000 रूपये प्रति माह की दर से बेरोजगारी भत्ता भी जारी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता तो स्पष्ट हो जाएगा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के लोगों से किए गए किसी भी वादे को पूरा करना नहीं चाहते हैं।
हरसिमरत बादल की मांग, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी करे केंद्र और पंजाब सरकार
एक सवाल के जवाब में बठिंडा सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार को किसान समुदाय के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए तथा उन तीन खेती कानूनों को रदद करना चाहिए जिनका ‘अन्नदाता’ द्वारा विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार खेती अध्यादेशों को मंजूरी देने के लिए समान रूप से जिम्मेदार है, जिसके कारण अंतत तीनों खेती कानूनों का विरोध हो रहा है।