सीएम योगी ने दी गुरू नानक जयंती की बधाई, कहा: सिख गुरुओं का गौरवशाली इतिहास

By  Vinod Kumar November 8th 2022 02:57 PM -- Updated: November 8th 2022 04:50 PM

लखनऊ: सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी की जयंती आज जयंती मनाई जा रही है। हर साल कार्तिक महीने के पूर्णिमा पर गुरु पर्व मनाया जाता है। गुरू नानक जयंती पर गुरुद्वारों में बड़े स्तर पर लंगर का आयोजन किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिख पंथ के संस्थापक एवं प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी महाराज के पावन प्रकाश पर्व के अवसर पर लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

सीएम योगी ने कहा कि आज जगतगुरु नानक देव जी का पावन प्रकाश उत्सव है। पूरे देश व दुनिया में जहां कहीं भी भारतवंशी निवास कर रहे हैं, वो पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ इस आयोजन से जुड़े हुए हैं। मैं इस अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को हृदय से बधाई व अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

मध्यकाल में जब धर्म संकट में था, उस कालखंड में जिन्होंने मानवता के कल्याण के लिए अपने उपदेशों से व्यापक जनजागरण के कार्यक्रम के माध्मय से एक बड़े अभियान को अपने हाथों में लिया था, वह प्रकाशपुंज ही हैं जिन्हें हम गुरु नानक जी के नाम से स्मरण करते हैं।

हम सब जानते हैं कि सिख गुरुओं का एक अपना गौरवशाली इतिहास है। देश व धर्म के लिए बलिदान देने की अच्छी परंपरा आज भी एक इतिहास का निर्माण करती है, एक नई प्रेरणा प्रदान करती है, एक नई ऊर्जा समाज को उनसे प्राप्त होती है।

सिख गुरुओं के स्वर्णिम इतिहास का हम स्मरण करते हैं, उनके प्रति कृतज्ञता और प्रेरणा प्राप्त करते हैं। हम उनका स्मरण इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उनका जीवन देश व धर्म के लिए पूरी तरह समर्पित था।

सीएम योगी ने कहा कि जो भी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देश व धर्म के लिए अपने आप को समर्पित करेगा युगों-युगों तक उसका नाम इसी श्रद्धा व विश्वास के साथ लोग लेते रहेंगे। मैं आज इस अवसर पर एक बार फिर से श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर उनको नमन करता हूं।

जब विधर्मियों के आतंक से देश और धर्म संकट में था, मानवता खतरे में थी, बहन-बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं थी। स्वयं के अस्तित्व के लिए जब मानवता गुहार लगा रही थी, तब श्री गुरुनानक देव जी महाराज के रूप में एक प्रकाशपुंज प्रकट हुआ था, जिस समय साधन नहीं थे, उस समय गुरुनानक देव जी ने देश के अंदर और उन तमाम देशों में जहां आज भी जाना दुर्लभ है, वहां पहुंचकर धार्मिक उपदेश के माध्यम से मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया था।

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