बीजेपी को बीजेपी बनाने वाले आडवाणी हमेशा रहे पीएम इन वेटिंग, लालू ने करवाया गिरफ्तार...पीएम मोदी से भी रिश्ते हुए खराब

By  Vinod Kumar November 8th 2022 12:49 PM -- Updated: November 8th 2022 12:54 PM

 Lal Krishna Advani birthday: बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) का आज 95वां जन्मदिन है। एलके आडवाणी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए पीएम मोदी उनके घर पर पहुंचे और गुलदस्ता देकर पूर्व उप प्रधानमंत्री को बधाई दी। पीएम मोदी आधे घंटे तक आडवाणी के घर पर रुके और उनका आशीर्वाद लिया।

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आडवाणी के घर पहुंचकर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को आजादी से पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्णचंद डी आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी था। आडवाणी जब 14 साल के थे तभी संघ से जुड़ गए थे> 

पाकिस्तान के कराची में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। स्कूली शिक्षा के बाद सिंध कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। बंटवारे के बाद उनका परिवार मुंबई आ गया। मुंबई में आडवाणी ने कानून की शिक्षा ली।

एलके आडवाणी बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक माने जाते हैं। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन संघ और पार्टी को मजबूत बनाने में लगा दिया। बीजेपी की स्थापना के बाद उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर पार्टी को बुलंदी पर पहुंचाने के लिए संघर्ष किया। बीजेपी की जड़े मजबूत करने का श्रेय आडवाणी को ही दिया जाता है। उन्होंने ने ही बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल का फूल चुना था।

1951 से 1957 तक आडवाणी डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पार्टी जनसंघ के सचिव रहे। 1973 से लेकर 1977 तक आडवाणी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे। 1980 में अटल बिहारी बाजपेई के कहने पर बीजेपी के गठन का श्रेय भी आडवाणी को दिया जाता है। 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहे। यहीं से बीजेपी का सूरज चमकना शुरू हुआ।  

1990 में आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के लिए सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली। 23 अक्टूबर की सुबह बिहार के समस्तीपुर में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोक दी गई। बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया। उन्हें समस्तीपुर के सर्किट हाउस से गिरफ्तार कर लिया गया। इस यात्रा ने उनका राजनीतिक कद काफी बढ़ा दिया। गुजरात में उस समय पीएम मोदी इस रथ यात्रा के संयोजक थे।

आडवाणी पर बाबरी मस्जिद विध्वंस का मुकदमा चला। 1998 से लेकर 2004 तक एनडीए सरकार ने गृहमंत्री के साथ उपप्रधानमंत्री का पद संभाला। 2009 में पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए का पीएम उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन एनडीए चुनाव हार गई। 2014 में पीएम मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने का उन्होंने विरोध किया। इसके बाद पीएम मोदी और उनके बीच दूरियां बढ़ गई। आडवाणी का पीएम बनने का सपना कभी पूरा नहीं हुआ वो हमेशा पीएम इन वेटिंग ही रह गए। 2014 के बाद पार्टी ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया। आडवाणी को साल 2015 देश के दूसरे सबसे बड़े सिविलयन अवॉर्ड पदम विभूषण से सम्मानित किया गया।

पीएम मोदी और आडवाणी के बीच 2014 के बीच दूरियों की बात किसी से छिपी नहीं है, लेकिन गोधरा कांड के बाद अटल बिहारी बाजपेयी उन्हें सीएम की कुर्सी से हटाना चाहते थे, लेकिन आडवाणी ने उनकी कुर्सी बचा ली थी।


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