किसानों से हाथ मिलाने के बजाए उनसे पंजा लड़ा रही है सरकार: हुड्डा

By  Arvind Kumar April 7th 2021 09:48 AM

चंडीगढ़। किसानों से हाथ मिलाने की बजाए सरकार उनसे पंजा लड़ा रही है। किसानों से आंख मिलाने की बजाए सरकार उन्हें आंख दिखा रही है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा मंगलवार को चंडीगढ़ आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कृषि, शिक्षा, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बिजली और मंहगाई के मुद्दे को लेकर सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए।

Hooda on Haryana Govt किसानों से हाथ मिलाने के बजाए उनसे पंजा लड़ा रही है सरकार: हुड्डा

उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार हरियाणा की जनता को बहुत महंगी पड़ रही है। सरकार की नीतियां जनता को गरीबी और महंगाई की खाई में धकेल रही हैं। लगातार पेट्रोल, डीजल, गैस और बिजली के दाम बढ़ रहे हैं। स्टांप ड्यूटी, किसानों की लागत और प्रदेश पर कर्ज में इजाफा हो रहा है। हर वर्ग सरकार से हताश और निराश है। ये सरकार जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है।

हुड्डा ने कहा कि अपनी नाकामियों को सरकार विपक्ष पर थोपना चाहती है। जबकि उसे आत्म मंथन करना चाहिए। उसे सोचना चाहिए कि 2 साल पहले हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली पार्टी के नेता आज जनता के बीच क्यों नहीं जा पा रहे हैं। किसानों के प्रति सरकार का रवैया पूरी तरह नकारात्मक है। 3 कृषि कानूनों के खिलाफ पहले से आंदोलनरत किसानों को सरकार अब मंडियों में परेशान कर रही है। रजिस्ट्रेशन, नमी, मिश्रण और मैसेज का बहाना बनाकर गेहूं की खरीद में देरी की जा रही है।

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हुड्डा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को पूरी तरह विफल करार दिया। उन्होंने बताया कि आरटीआई के मुताबिक बीमा कंपनियों ने किसानों के 75 फीसदी से अधिक दावों को खारिज कर दिया है। इस मामले में अगर राज्यवार आंकड़े देखें तो हरियाणा तीसरे नंबर पर आता है। यहां बीमा कंपनियों ने 3 साल में 1,96,795 फसल बीमा दावों को खारिज कर दिया।

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शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का जिक्र करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में डॉक्टरों के 56 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। सरकार को बताना चाहिए कि उसने अबतक कितने डॉक्टर भर्ती किए और कितने मेडिकल कॉलेज खोले हैं? हुड्डा ने कहा कि सिर्फ अस्पतालों में ही नहीं, स्कूलों में भी स्टाफ का भारी टोटा है। सरकारी स्कूलों में टीचर्स के करीब 45 हजार पद खाली पड़े हुए हैं। स्कूलों में हेड मास्टर और प्रिंसिपल के भी करीब 50% पद खाली पड़े हैं।

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