punjab assembly election: पंजाब में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। इस बार विधानसभा चुनावों में रैलियों के मैदान खाली हैं। इसके साथ ही नुक्कड़ सभाओं पर भी रोक है। दरअसल कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही चुनाव प्रचार पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं।
शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने चुनाव आयोग की रैलियों पर लगाई गई पाबंदी के खिलाफ है। अकाली दल ने चुनाव आयोग को चिट्ठी भेजकर पाबंदी हटाने को कहा है। अकाली दल का तर्क है कि डिजिटल माध्यम से गरीब, बुजुर्ग और मोबाइल नेटवर्क विहीन इलाकों में प्रचार नहीं किया जा सकता। बड़ी रैलियों पर बैन लगे, लेकिन नुक्कड़ सभाओं पर बैन आयोग तुरंत हटाए।
चुनाव आयोग को लिखे पत्र में अकाली दल ने कहा कि चुनाव रैली, पद यात्रा और नुक्कड़ सभाएं आदि पर रोक लगने से राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को परेशानी हो रही है। अगर पाबंदी जारी रही तो मतदाताओं का बहुत बड़े वर्ग तक प्रचार नहीं पहुंच पाएगा। बड़ी चुनावी रैलियों पर पाबंदी लगे, लेकिन छोटी मीटिंगों की इजाजत दी जाए।
अकाली दल का तर्क
विधानसभा क्षेत्र के हर मतदाता तक डिजिटल माध्यम से पहुंचना संभव नहीं है। पंजाब में कई ऐसी जगह हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं रहता।बुजुर्ग लोग बहुत कम डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करते हैं।गरीब तबके से संबंधित लोगों को डिजिटल तकनीक के बारे में जानकारी नहीं है।
अकाली दल ने कहा कि पंजाब में चुनाव लड़ रही कई पार्टियों की पंजाब, दिल्ली और केंद्र में सरकार है। वह अपने राजनीतिक हितों के लिए सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार है। वह अपनी पेड न्यूज के तौर पर टीवी में डेवलपमेंट स्टोरी दिखा रहे हैं। दिल्ली में चुनाव आचार संहिता नहीं है। इसलिए आप इसका फायदा उठा रही है।