राष्ट्रपति चुनाव: यशवंत सिन्हा ने भरा नामांकन, कई विपक्षी नेता साथ आए नजर...NDA का पलड़ा भारी

By  Vinod Kumar June 27th 2022 01:50 PM

विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। यशवंत सिन्हा के साथ नामांकन भरने के दौरान शरद पवार, राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव, मल्लिका अर्जुन खड़गे, जयंत चौधरी भी मौजूद रहे। विपक्ष ने नामांकन के दौरान अपनी पूरी ताकत दिखाने की कोशिश की है। राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए के पास संख्या ऐसे तो बहुत कम है लेकिन विपक्षी नेताओं ने दावा करते हुए कहा कि उनके उम्मीदवार को कम आंका ना जाए. राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु का पलड़ा भारी लग रहा है।एनडीए के पास कुल मिलाकर 5.26 लाख वोट हैं जो कुल वोटों का लगभग 49 फीसदी है। जीत के अंतर को पाटन के लिए एनडीए को अन्य पार्टियों का सहारा लेना पड़ेगा। मायावती, नवीन पटनायक, जगन रेड्डी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, टीआरएस, आम आदमी पार्टी और शिवसेना ने भी सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान किया है। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा। 21 को मतगणना की जाएगी। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई, 2022 को समाप्त हो रहा है। कौन हैं यशवंत सिन्हा 6 नवंबर 1937 को यशवंत सिन्हा का जन्म पटना में हुआ था। यहीं उनकी पढ़ाई लिखाई हुई। 1958 में पॉलिटिक्ल साइंस में मास्टर डिग्री लेने के बाद पटना विश्वविद्यालय शिक्षक के रूप में सेवाएं दीं। 1960 में उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में हो गया। प्रशासनिक सेवा के दौरान उन्होंने बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में दो साल तक सचिव और उप-सचिव के तौर पर काम किया। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के उप-सचिव पद पर भी काम किया। 1971 से 1974 तक यशवंत सिन्हा जर्मनी में भारतीय दूतावास के पहले सचिव नियुक्त हुए थे। 24 साल तक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने 1984 में राजनीतिक में प्रवेश किया। 1986 में जनता पार्टी में शामिल हुए। पार्टी उन्हें आखिल भारतीय महासचिव का पदभार दिया। 1988 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। इसके अलावा 1990 से 1991 तक चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री रहे। बीजेपी की टिकट पर 1998, 1999 के साथ 2009 में झारखंड के हजारीबाग लोकसभा सीट से चुनाव जीते। मार्च 1998 से मई 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे। इसके अलावा वो विदेश का कार्यभार भी देख चुके हैं। अटल सरकार में इतने बड़े मंत्री रहने के बाद भी उन्हें 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में हजारीबाग सीट से हार का मुंह देखना पड़ा। 2018 में बीजेपी के साथ मतभेद के बाद उन्होंने बीजेपी के साथ सालों पुराना रिश्ता खत्म कर 2021 में TMC का दामन थामा था।  

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