Janmashtami 2023 Chappan Bhog : श्रीकृष्ण को क्यों चढ़ाया जाता है छप्पन भोग का प्रसाद? जानिए इसके पीछे की कहानी
ब्यूरो : जन्माष्टमी एक हिंदू त्यौहार है जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के अवसर पर पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। बाल गोपाल के स्वागत के लिए भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और अपने मंदिरों को खूबसूरती से सजाते हैं।
जन्माष्टमी का मुख्य आकर्षण आधी रात का उत्सव है जो मथुरा में आधी रात को भगवान श्री कृष्ण के जन्म की याद दिलाता है। जन्मदिन भक्ति गीत गाकर, कृष्ण मंत्रों का जाप करके और अंत में आरती करके मनाया जाता है। बाद में भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल रूप को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और मूर्ति को फिर से नए वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है।
फिर बाल गोपाल को घर में बनी मिठाई खिलाई जाती है। बाद में भक्तों को चरणामृत और मिठाइयाँ प्रसाद के रूप में दी जाती हैं। यह त्यौहार विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के बीच एकता और भक्ति को बढ़ावा देता है। लोग अपने बच्चों को श्री कृष्ण और राधा रानी के रूप में भी सजाते हैं।
एक लोकप्रिय अनुष्ठान जो लोग जन्माष्टमी के अवसर पर आधी रात को करते हैं, वह है भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग या 56 खाद्य पदार्थ चढ़ाना। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है और इस थाली की एक खास मान्यता है।
छप्पन भोग के पीछे की कहानी
कथा के मुताबिक एक बार ब्रज के लोग स्वर्ग के राजा इंद्र की पूजा के लिए एक बड़ा आयोजन कर रहे थे। छोटे कृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि यह आयोजन क्यों किया जा रहा है। तब नंद बाबा ने कहा कि इस पूजा से देवराज इंद्र प्रसन्न होंगे और अच्छी बारिश करेंगे।
छोटे कृष्ण ने कहा कि वर्षा तो देवराज इंद्र का काम है, हम उनकी पूजा क्यों करें? यदि पूजा ही करनी है तो गोवर्धन पर्वत की पूजा करें क्योंकि इससे फल-सब्जियां और पशुओं के लिए चारा मिलता है। तब छोटे कृष्ण की बात सभी को पसंद आई और सभी इंद्र की जगह गोवर्धन की पूजा करने लगे। इंद्र देव ने इसे अपना अपमान समझा और क्रोधित हो गए। क्रोधित इंद्र देव ने ब्रज को नष्ट कर दिया और भारी वर्षा की और पूरे शहर में हर जगह पानी भर गया।
ऐसा दृश्य देखकर ब्रजवासी भयभीत हो गए तो छोटे कृष्ण ने कहा कि गोवर्धन की शरण में आओ, वही हमें इंद्र के प्रकोप से बचाएंगे। श्रीकृष्ण ने अपने बाएं हाथ की उंगली से पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी को अपनी-अपनी लाठियों का सहारा लेने को कहा।
भगवान श्री कृष्ण ने 7 दिनों तक बिना कुछ खाए गोवर्धन पर्वत को उठाया था। कुछ समय बाद जब इंद्र देव शांत हुए तो आठवें दिन बारिश रुक गई और सभी ब्रजवासी पर्वतों से बाहर आ गए। सब समझ गए कि कान्हा ने सात दिन से कुछ नहीं खाया है। तब सभी ने मां यशोदा से पूछा कि वह अपने लल्ला को कैसे खाना खिलाती हैं और उन्होंने सभी को बताया कि वह अपने कान्हा को दिन में आठ बार खाना खिलाती हैं।
इस प्रकार गोकुल के निवासियों ने छोटे कृष्ण को पसंद आने वाले कुल छप्पन प्रकार के भोजन तैयार किए और इस तरह छप्पन भोग की अवधारणा शुरू हुई। मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाने से वे प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
छप्पन भोग में शामिल हैं यह व्यंजन
छप्पन भोग में शामिल व्यंजन हैं- माखन मिश्री, खीर, रसगुल्ला, जीरा लड्डू, जलेबी, रबड़ी, मालपुआ, मोहन भोग, मूंग दाल का हलवा, घेवर, पेड़ा, काजू, बादाम, पिस्ता, इलायची, पंचामृत, चीनी पारा, मथाड़ी, चटनी, मुरब्बा, आम, केला, अंगूर, सेब, आलू बुखारा, किशमिश, पकौड़े, साग, दही, चावल, नक्करी, चीला, पापड़, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, दूध की सब्जी, पूरी, टिक्की, दलिया, घी, शहद, सफेद मक्खन, ताजी क्रीम, कचौरी, रोटी, नारियल पानी, बादाम का दूध, लस्सी, शिकंजी, छोले, मीठे चावल, भुजिया, सुपारी, सौंफ, तेज पत्ता।
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