चंडीगढ़: नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में गर्भपात की मांग वाली याचिका का निपटारा करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि यदि बच्चा पैदा हुआ तो वह अच्छी यादों वाला नहीं होगा। बच्चा पीड़िता को उस आघात और पीड़ा की याद दिलाता रहेगा, जिससे उसे गुजरना पड़ा था। यह उसे पीड़ादायक और भयावह जीवन जीने को मजबूर करेगा।
कोर्ट ने कहा कि मां के साथ-साथ बच्चे को भी सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ेगा। यह मां और उसके परिवार के हित में नहीं होगा, जो पहले से ही बच्चे को पालने के लिए अपनी अनिच्छा व्यक्त कर चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि जीवन केवल सांस लेने में सक्षम होने तक सीमित नहीं है बल्की यह सम्मान के साथ जीने में सक्षम होने के बारे में है।
याचिका दाखिल करते हुए मेवात निवासी पीड़िता न याचिका में बताया कि वह 17 साल की है और दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हुई है। मामले में 21 अक्तूबर को एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है। याची ने कहा कि वह खुद अभी नाबालिग है और यदि गर्भ गिराने की अनुमति नहीं दी गई तो उसके भविष्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
हाईकोर्ट ने याची पक्ष की दलीलें सुनने के बाद नूंह के शहीद हसन खान मेडिकल कॉलेज को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था। बोर्ड को पीड़िता की जांच कर 16 नवंबर तक कोर्ट को बताना था कि क्या पीड़िता का गर्भपात सुरक्षित होग। रिपोर्ट में गर्भपात को लेकर कोई सिफारिश न होने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बोर्ड को जमकर फटकार लगाई थी।
हाईकोर्ट ने बोर्ड को दो दिन के भीतर नए सिरे से रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने पीड़िता का गर्भपात करने की अनुमति देते हुए मेडिकल कॉलेज को यह कार्य जल्द पूरा करने का आदेश दिया है।
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