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द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीदों की अस्थियां पहुंची घर, श्रद्धाजंलि देने के लिए पहुंचे सैकड़ों लोग

Written by  Arvind Kumar -- June 03rd 2019 05:41 PM
द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीदों की अस्थियां पहुंची घर, श्रद्धाजंलि देने के लिए पहुंचे सैकड़ों लोग

द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीदों की अस्थियां पहुंची घर, श्रद्धाजंलि देने के लिए पहुंचे सैकड़ों लोग

झज्जर/हिसार। द्वितीय विश्वयुद्ध में इटली के अन्दर शहीद हुए झज्जर जिले के गांव नौगांवा के हरिसिंह और हिसार के नंगथला वासी कालूराम की अस्थियां आज उनके पैतृक गांव में पहुंची। सैकड़ों लोगों ने शहीद की अस्थियों को श्रद्धाजंलि दी। झज्जर जिले के शहीद हरि सिंह को श्रद्धाजंलि देने के लिए पहले से ही पूरे गांव ने एक समारोह का आयोजन रखा था। यहां मंच पर गाजे-बाजे के साथ अस्थियों को लाया गया। इस दौरान शहीद हरि सिंह अमर रहे के गगनभेदी नारों से पूरा माहौल गुंजायमान हो उठा। बाद में शहीद हरि सिंह की अस्थियां उनके परिजनों ने गांव की ही पंचायती जमीन पर विसर्जित की। यहां ग्रामीणों व परिजनों की मांग पर पंचायती जमीन पर ही शहीद हरि सिंह की एक प्रतिमा लगाए जाने का फैसला भी लिया गया। [caption id="attachment_303026" align="aligncenter" width="700"]Mortals 1 द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीदों की अस्थियां पहुंची घर, श्रद्धाजंलि देने के लिए पहुंचे सैकड़ों लोग[/caption] हिसार के नंगथला वासी कालूराम की अस्थियां को सेना के अधिकारियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। जिला प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार भी वहां मौके पर मौजूद थे। यह भी पढ़ें : 65 साल में दूसरा सबसे बड़ा प्री-मॉनसून सूखा, अब तक महज 99 मिलीमीटर बारिश हुई

यह था मामला मामले के अनुसार द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान झज्जर के गांव नौगांवा के हरि सिंह और हिसार के नंगथला गांव निवासी कालूराम ब्रिटिश इंडियन आर्मी की फ्रंटियर फोर्स राइफल में सिपाही के तौर पर कार्यरत थे। वर्ष 1947 के बंटवारे के दौरान यह राइफल पाकिस्तान को सौंप दी गई थी। इस राइफल ने द्वितीय विश्व युद्ध (वर्ष 1939 से 1945) के दौरान इटली में जाकर युद्ध लड़ा था। दोनों सिपाही वर्ष 1944 में इटली में शहीद हो गए थे लेकिन इनके शव नहीं मिले थे। दोनों को 13 सितंबर, 1944 को गुमशुदा घोषित कर दिया गया था। इसके बाद वर्ष 1996 को इटली में मानव कंकाल के कुछ अवशेष मिले और डीएनए जांच के दौरान वर्ष 2012 में खुलासा हुआ कि ये कंकाल करीब 20 से 22 वर्ष के युवकों के है और यूरोपीय नस्ल से मेल नहीं खाते। [caption id="attachment_303028" align="aligncenter" width="696"]Second-World-War द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीदों की अस्थियां पहुंची घर, श्रद्धाजंलि देने के लिए पहुंचे सैकड़ों लोग[/caption] बाद में कॉमनवेल्थ ग्रेव कमिशन से मिले डाटा की जांच से खुलासा हुआ कि ये कंकाल ब्रिटिश इंडियन आर्मी की फ्रंटियर फोर्स राइफल के दो सिपाही के हैं और जांच के बाद इसकी पुष्टि हो गई। अब इन दोनों शहीदों का अंतिम संस्कार इटली में किए जाने के बाद सेना की एक टीम इनकी अस्थियों को लेने के लिए इटली गई थी। टीम के अस्थियां लिए जाने के बाद सेना की ही एक टीम सोमवार को शहीद की अस्थियां लेकर पहुंची। यह भी पढ़ेंशहादत के 75 साल बाद आएंगी नौगांवा के हरिसिंह की अस्थियां
—-PTC NEWS—

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