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दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन के सात महीने पूरे, किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मार्च

Written by  Arvind Kumar -- June 26th 2021 01:59 PM
दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन के सात महीने पूरे, किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मार्च

दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन के सात महीने पूरे, किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मार्च

टीकरी बॉर्डर, बहादुरगढ़। (प्रदीप धनखड़) तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी को लेकर नया कानून बनाने की मांग कर रहे किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर बैठे आज 7 महीने पूरे हो गए हैं। किसानों ने ऐलान किया है कि वे आज देशभर में राज्यपालों के आवासों का घेराव करेंगे और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपेंगे। टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर एक ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। इस ट्रेक्टर मार्च का उद्देश्य लोगों को जागरूक कर अपने साथ जोड़ने और सरकार के प्रति रोष जाहिर करना है। किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन के सात महीने के दौरान उन्होंने सर्दी-गर्मी, बरसात के साथ-साथ आंधी और तूफान का भी सामना किया। कोरोना काल भी देखा, लेकिन सरकार टस से मस नहीं हुई। किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन करना उनकी मजबूरी है। यह उनके लिए जिंदगी और मौत की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आंदोलन को फेल करने के लिए कई कोशिशें की लेकिन हर बार सरकार विफल रही। इतना ही नहीं दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है और दिल्ली बॉर्डर से जीत कर ही किसान वापस अपने घरों को जाएंगे। यह भी पढ़ें- अंबाला में वैक्सीनेशन को लेकर नया आयाम स्थापित यह भी पढ़ें- आप नेता मनोज राठी को 1 करोड़ की मानहानि का नोटिस आपको बता दें कि 26 नवंबर 2020 के दिन किसान दिल्ली की सीमाओं पर आकर डटे थे तब से लेकर अब तक आंदोलन ने कई उतार-चढ़ाव देखे। सरकार के साथ किसान नेताओं की 12 दौर की बातचीत में भी समाधान नहीं निकला। 26 जनवरी की हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत का डेडलॉक लगा हुआ है। जो टूटने का नाम नहीं ले रहा। हालांकि किसानों ने सरकार के साथ बातचीत दोबारा शुरू करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था। लेकिन कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने यह साफ कर दिया है, कि किसानों के साथ बातचीत के लिए सरकार आधी रात को भी तैयार है पर बातचीत कृषि कानूनों की वापसी को लेकर नहीं होगी। बल्कि किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत के लिए सरकार तैयार है। Farmers break barricades at Chandigarh-Mohali border, march towards Raj Bhawanऐसे में किसान नेताओं ने आंदोलन को तेज करने की रणनीति बनाई हैं। इतना नहीं आने वाले विधानसभा चुनाव में मिशन यूपी और मिशन उत्तराखंड के तहत बीजेपी के खिलाफ प्रचार करने की रणनीति बनाई जा रही है। लेकिन अब देखना यह होगा कि आखिर आंदोलन कब तक जारी रहता है, कोई समाधान निकलता भी है या नहीं। नेताओं की माने तो वे सरकार से बातचीत के लिए अब भी तैयार हैं लेकिन इसके लिए सरकार को अपना मन साफ रखकर बातचीत के लिए आगे आना होगा।


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