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अध्ययन में खुलासा, कोविड-19 के जोखिम को बढ़ा सकता है जंगल की आग से निकला धुआं

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Arvind Kumar -- July 20th 2021 11:07 AM
अध्ययन में खुलासा, कोविड-19 के जोखिम को बढ़ा सकता है जंगल की आग से निकला धुआं

अध्ययन में खुलासा, कोविड-19 के जोखिम को बढ़ा सकता है जंगल की आग से निकला धुआं

नई दिल्ली। एक अध्ययन में अब पता चला है कि जंगल की आग का धुआं सार्स-कोव-2 वायरस, जो कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार है, के जोखिम को बढ़ा सकता है। वहीं कुछ अन्य शोध अध्ययनों में वायु प्रदूषण को सार्स-कोव-2 की बढ़ती संवेदनशीलता से जोड़कर देखा गया है। अमेरिका के रेनो, नेवाडा स्थित डेजर्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (डीआरआई) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पता लगाने का प्रयास किया है कि जंगल की आग की घटनाओं के दौरान निकलने वाले धुएं का संबंध किस हद तक सार्स-कोव-2 संक्रमण में वृद्धि से हो सकता है। Union Education Minister Shri Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’ reviewed implementation of New Education Policy- 2020 with the senior officials of the ministry. During the meeting the Minister has recommended the constitution of a Task Force for coordinating of NEP implementation between higher education and school education departments of the Ministry of Education to facilitate the smooth transition of students from school education to higher education. The Minister suggested that a Review Committee and an Implementation Committee headed by Secretary, Higher Education be formed to ensure speedy implementation of NEP. Shri Pokhriyal emphasised the need for shifting the focus from package culture to patent culture. The National Education Technology Forum (NETF) and National Research Foundation (NRF) are critical for the success of policy so they should be established in the year 2021-2022. He called upon the stakeholders to ensure synergy between implementation of NEP and existing policies of the government. He also stressed on enabling linkages between the industry and academia for better results. A total of 181 tasks have been identified for implementation in Higher Education and a dashboard for monitoring the progress of these identified 181 tasks of NEP with clear timelines and targets may be prepared. A monthly and weekly calendar should be drawn up for implementation of the tasks so that every stake holder is updated about its implementation.शोधकर्ताओं ने जंगल की आग के धुएं से निकले सूक्ष्मकण पीएम-2.5 और सार्स-कोव-2 परीक्षण में पॉजिटिव पाए जाने वाले मामलों की दर के बीच संबंधों का विश्लेषण करने के लिए विशिष्ट मॉडल्स का उपयोग किया है। सार्स-कोव-2 परीक्षण से संबंधित डेटा नेवाडा के एकीकृत हेल्थ नेटवर्क रिनाउन हेल्थ से प्राप्त किए गए हैं। पश्चिमी अमेरिका में वर्ष 2020 में जंगल की आग की घटनाओं के दौरान धुएं से प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त चरों जैसे - वायरस के सामान्य प्रसार, हवा के तापमान, और कोविड-19 परीक्षणों की संख्या को नियंत्रित रखकर यह अध्ययन किया गया है। गत वर्ष 16 अगस्त और 10 अक्तूबर के दौरान अमेरिका के नेवाडा के जंगलों में लगी आग के धुएं से निकले पीएम 2.5 कणों को कोविड-19 के मामलों में 17.7 प्रतिशत की वृद्धि के लिए जिम्मेदार पाया गया है। Latest Research On Coronavirusयह भी पढ़ें- कृषि कानूनों के खिलाफ अकाली दल ने संसद के बाहर किया प्रदर्शन यह भी पढ़ें- जल्द आएगा CBSE 10वीं कक्षा का परिणाम, बिना रोल नंबर के ऐसे चेक करें रिजल्ट उत्तरी नेवाडा के वाशो काउंटी में स्थित रेनो, सैन फ्रांसिस्को सहित आसपास के अन्य महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में वर्ष 2020 में लंबे समय के लिए पीएम-2.5 के उच्च घनत्व के संपर्क में बना हुआ था। सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र में 26 दिनों के विपरीत, रेनो में अध्ययन अवधि के दौरान 43 दिनों तकपीएम-2.5 का उच्च स्तर देखा गया है। इसी आधार पर माना जा रहा है कि जंगल की आग का धुआं सार्स-कोव-2 के प्रसार को बढ़ा सकता है।अध्ययन के निष्कर्ष 'जर्नल ऑफ एक्सपोजर साइंस ऐंड एन्वायरमेंटल एपिडेमियोलॉजी' में प्रकाशित किए गए हैं। प्रमुख शोधकर्ताओं में शामिल डैनियल केसर ने कहा है कि "इस अध्ययन में पाया गया है कि जब हम कैलिफोर्निया के जंगल की आग के धुएं से बुरी तरह प्रभावित थे, तो रेनो में कोविड-19 से पॉजिटिव होने की दर में काफी वृद्धि दर्ज की गई है।"उन्होंने कहा है कि "ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हम विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर जंगल की आग की घटनाओं का सामना रहे हैं और कोविड-19 मामलों के बढ़ने का खतरा भी बना हुआ है।" यह अध्ययन भारत के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हो सकता है। क्योंकि भारत के विभिन्न राज्यों में अक्सर जंगल में लगने वाली आग की घटनाएं होती रहती हैं। (इंडिया साइंस वायर)


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