रात को गौरीकुंड से केदारनाथ तक की यात्रा पर रोक, श्रद्धालुओं को दी गई ये सलाह
गुरुवार को बाबा केदार की पंचमुखी डोली गौरीकुंड से केदारनाथ धाम पहुंच गई है। दो साल बाद शुरु हुई केदारनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं। दो साल बाद बाबा केदार नाथ की यात्रा शुरू हो पाई है। कोरोना के चलते दो साल तक यात्रा प्रतिबंधित थी।
हजारों की संख्या में लोग केदारनाथ धाम पहुंच गए हैं। इससे वहां की व्यवस्था चरमरा गई। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक का 21 किलोमीटर का पैदल रास्ता पूरी तरह श्रद्धालुओं से पट गया है। होटलों में कमरे कम पड़ गए हैं। एक-एक कमरे का रेट 10 हजार रुपए से ऊपर पहुंच गया है। यहां तक की रात बिताने के लिए टैंट भी लोगों को नहीं मिल रहे हैं। लोगों को भारी ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ रही है। खाने-पीने की भी भारी दिक्कत देखी जा रही है।
गढ़वाल मंडल के कमिश्नर सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि केदारनाथ धाम में उन लोगों को ही दिक्कत हो रही है, जो बिना किसी तैयारी के यहां आ गए हैं। केदारनाथ जैसी विषम भौगौलिक परिस्थिति वाली जगह पर पहले से ही तैयारी करके आना जरूरी है। उन्होंने कहा कि और दबाव न बढ़े इसके लिए श्रद्धालुओं को रात में गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की यात्रा न करने की सलाह दी गई है। भारी भीड़ को देखते हुए वाहनों को सोनप्रयाग से आगे बढ़ने नहीं दिया जा रहा है। सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर दूर आखिरी पड़ाव गौरीकुंड तक छोटी गाड़ियों से ही सफर करने की इजाजत है।
वहीं, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में उत्तराखंड सरकार ने क्षमता के अनुसार प्रतिदिन दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या निश्चित कर दी है। यह व्यवस्था यात्रा सीजन के पहले 45 दिनों के लिए बनाई गई है।
बदरीनाथ धाम में प्रतिदिन 15 हजार, केदारनाथ धाम में हर दिन 12 हजार, गंगोत्री धाम में प्रतिदिन सात हजार और यमुनोत्री धाम में रोजाना चार हजार श्रद्धालु ही दर्शन कर पाएंगे। केदारनाथ धाम के लिए छह मई से हेली सेवा शुरू हो जाएगी। इसी दिन केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं।