- पंजाब के कृषि कानूनों पर बीजेपी नेता ओपी धनखड़ का बयान
- पंजाब के कानूनों का कोई आधार नहीं
- पंजाब के किसान से छीन ली आजादी : धनखड़
- माल मोदी का और कमाल कैप्टन का
- पंजाब ने कानून उन्ही फसलों पर क्यों लागू किए
- जिनकी खरीद केंद्र सरकार करती है ?
- दलहन और तिलहन की खरीद पर पतली गली से निकल लिए कैप्टन
चंडीगढ़। पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को जो बिल पास किए है उन कानूनों का कोई आधार नहीं है, इन कानूनों के जरिए पंजाब ने अपने किसानों कि आजादी को छीन लिया ये बात हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए कानून समाधान नहीं है किसानों के लिए बंधन है।
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ओपी धनखड़ बोले- पंजाब के कानूनों का कोई आधार नहीं, माल मोदी का और कमाल कैप्टन का
धनखड़ ने कहा कि सरकारी ख़रीद संपन्न होने बाद यदि किसी किसान ने फसल रखी हुई है और बाजार भाव एमएसपी से कम रह गया तो उसे ख़रीददार ही नहीं मिलेगा। ऐसे में पंजाब सरकार की एक दुकान हर मंडी में एमएसपी ख़रीद के लिये 12 महीना चाहिये। अन्यथा यह क़ानून काग़ज़ टुकड़ा मात्र है। अगर ऐसा नहीं है तो किसान अपनी उपज आपसी सहमति से किसी व्यापारी को कम पर बेच दे और कल को आपसी सहमति बिगड़ जाए तो पंजाब के लगभग हर व्यापारी पर मुकदमे दर्ज होंगे।
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ओपी धनखड़ बोले- पंजाब के कानूनों का कोई आधार नहीं, माल मोदी का और कमाल कैप्टन का
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस किसानों को भ्रम में डालकर अपनी राजनीतिक चालें चल रही है, नहीं तो ऐसा ही क्यों कि पंजाब कि अमरेन्द्र सरकार ने केवल उन्हीं फसलों को केन्द्रित करके कानून बनाया जो केंद्र सरकार खरीदती है। जिन दलहन और तिलहन की फसलों को राज्य सरकार खरीदती है, उन पर एमएसपी कि गारंटी को लेकर पंजाब सरकार पतली गली से निकल गई।
ओपी धनखड़ बोले- पंजाब के कानूनों का कोई आधार नहीं, माल मोदी का और कमाल कैप्टन का
धनखड़ ने कहा कि केंद्र पंजाब में धान कि खरीद के लिए लगभग 32 हजार करोड़ और हरियाणा में साढ़े 12 हजार करोड़ खर्च करता है। फिर भी केवल केंद्र का विरोध करने के नाम पर अपने प्रदेश के किसानों की आजादी छीनते हुए कानून बनाना तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने कहीं भी खरीद की गारंटी नहीं दी है कि केंद्र की खरीद के बाद कौन ख़रीददार होगा क्योंकि जिन फसलों को पंजाब सरकार खरीदती है उन पर किसानों को भ्रम में रखा जा रहा है।