सरपंच को हटाने का अधिकार मिला ग्रामीणों को, राइट टू रीकॉल बिल विधानसभा में पारित

By  Arvind Kumar November 7th 2020 09:21 AM

  • सरपंच को हटाने का अधिकार मिला ग्रामीणों को
  • राइट टू रीकॉल बिल विधानसभा में पारित
  • ग्रामीण क्षेत्र में विकास के नए द्वार खुलेंगे – दुष्यंत चौटाला
  • “राइट टू रीकॉल” से चौधरी देवीलाल का सपना पूरा हुआ – डिप्टी सीएम
चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के इस सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण बिल पारित हुए और इनमें से एक शुक्रवार को ग्राम पंचायतों के लिए 'राइट टू रीकॉल' बिल भी पटल पर रखा गया जिसे माननीय सदस्यों ने पास कर दिया। इस बिल के लागू होने से काम ना करने वाले सरपंच को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटाने का अधिकार ग्रामीणों को मिल गया है। इस नए नियम के लागू होने के बाद सरपंच द्वारा ग्रामीण विकास के मामले में क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावनाएं बन गई है। [caption id="attachment_447209" align="aligncenter" width="700"]Right to Recall bill सरपंच को हटाने का अधिकार मिला ग्रामीणों को, राइट टू रीकॉल बिल विधानसभा में पारित[/caption] उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि 'राइट टू रीकॉल' का सपना देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ने देखा था। विधानसभा में आज पास हुए 'राइट टू रीकॉल' बिल के बारे में डिप्टी सीएम ने बताया कि पंचायत विभाग के पास अक्सर इस तरह की शिकायतें आती थी कि सरपंच मनमानी करके ग्रामीणों की जनभावनाओं के खिलाफ कार्य कर रहा है। यह भी पढ़ें- 80 हजार की रिश्वत लेते दो पुलिसकर्मी रंगे हाथों गिरफ्तार [caption id="attachment_447207" align="aligncenter" width="700"]Right to Recall bill सरपंच को हटाने का अधिकार मिला ग्रामीणों को, राइट टू रीकॉल बिल विधानसभा में पारित[/caption] हर साल इस तरह के सैकड़ों शिकायतें ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर और प्रदेश मुख्यालय तक पहुंचती है। डिप्टी सीएम ने बताया कि राइट टू रीकॉल का बिल पास होने के बाद अब ग्रामीणों के पास यह अधिकार आ गया है कि अगर सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवा रहा तो उसे बीच कार्यकाल में ही पद से हटाया भी जा सकता है। यह भी पढ़ें- फरवरी 2021 तक लॉंच हो सकती है कोविड-19 की वैक्सीन educareडिप्टी सीएम ने बताया कि सरपंच को हटाने के लिए गांव के 33 प्रतिशत मतदाता अविश्वास लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को देंगे। यह प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जाएंगा। इसके बाद ग्राम सभा की बैठक बुलाकर 2 घंटे के लिए चर्चा करवाई जाएगी। इस बैठक के तुरंत बाद गुप्त मतदान करवाया जाएगा और अगर 67 प्रतिशत ग्रामीणों ने सरपंच के खिलाफ मतदान किया तो सरपंच पदमुक्त हो जाएगा। सरपंच चुने जाने के एक साल बाद ही इस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। [caption id="attachment_447210" align="aligncenter" width="700"]Right to Recall bill सरपंच को हटाने का अधिकार मिला ग्रामीणों को, राइट टू रीकॉल बिल विधानसभा में पारित[/caption] दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरपंच के विरोध में निर्धारित दो तिहाई मत नहीं डलते हैं तो आने वाले एक साल तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इस तरह 'राइट टू रीकॉल' एक साल में सिर्फ एक बार ही लाया जा सकेगा। दुष्यंत चौटाला ने बताया कि इस बिल के आने से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में अभूतपूर्व बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि सरपंच अब ग्रामीणों की भावना के अनुरूप ही विकास कार्यों को प्राथमिकता देंगे।

Related Post