सोनीपत। राज्य सभा सांसद व CWC सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने बरोदा हलके के गांव गंगाना, बुटाना, बनवासा वाया कोहला, गढ़वाल का दौरा किया। वे बरसात के कारण बुरी तरह प्रभावित गाँव गढ़वाल, बनवासा, रींढाना, छपरा आदि में पहुंचे, जहाँ खेतों में पानी भरने से फसलों को भारी क्षति हुई है। सांसद दीपेन्द्र ने खुद खेतों में फसलों को हुए नुकसान का मुआयना किया और सरकार से बरसाती पानी की निकासी कराने व पीड़ितों को जल्द उचित मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने सोनीपत के गोहाना में विधायक जगबीर मलिक के निवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता को भी संबोधित किया।
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है। बहुत से सरपंचों पर दबाव बना रही है। उनके फोन टेप किये जा रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार को चेताया कि चुनाव में सरकारी तंत्र का प्रयोग करने से सफलता नहीं मिलेगी। हमारे इलाके को सरकार जितना निशाने पर लेगी, उतनी बड़ी हार का मुंह बरोदा में भाजपा को देखना पड़ेगा। ये चुनाव सरकारी तंत्र और बरोदा की जनता के बीच है, और मुझे अटूट विश्वास है कि बरोदा की जनता जीतेगी और सरकारी तंत्र हारेगा।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि चुनाव में इस सरकार की विफलता का मुद्दा है, बरोदा हलके की पूर्ण अनदेखी का मुद्दा है और हुड्डा सरकार के समय यहां किये गये काम का मुद्दा है। यही गांव, यही खेत मेरी कर्मभूमि रहे हैं। ये इलाका स्वाभिमानी इलाका है। लोगों ने अब फैसले का मन बना लिया है। यहां चुनाव का नतीजा प्रदेश की राजनीति को नयी दिशा देने का काम करेगा। नतीजे वाले दिन से ही इस सरकार की उल्टी गिनती शुरु हो जायेगी। इस इलाके के काम बनाम भाजपा की खट्टर सरकार में इलाके की अनदेखी का हिसाब-किताब 36 बिरादरी इस चुनाव में लेगी।
सांसद दीपेंद्र ने किसानों की दुर्दशा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भाजपा ने गत चुनाव में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वायदा करके वोट मांगे थे और उसके सत्ता में आते ही किसानों की आमदनी पहले जितनी भी नहीं रही और खर्चे दोगुने हो गये। कांग्रेस सरकार के समय किसानों को फसल के अच्छे रेट मिलते थे और वो कर्ज मुक्त हो गया था। वहीं किसान आज अपनी जमीन की फर्द हाथ में लेकर बैंक के सामने कर्जा लेने की लाइन में खड़ा होने को मजबूर है। आज दुनिया में सबसे महंगा डीजल और पेट्रोल हिन्दुस्तान में है। खाद महंगी हो गयी। भाव बढ़ाया नहीं, खरीद में किसान को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
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