हरियाणा में एमएसपी से नीचे बिक रही सरसों, मदद की गुहार लगाते किसान
दो साल से अच्छी कीमत मिलने के बाद इस साल सरसों की फसल ने किसानों को निराश किया है। इस साल इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम रेट पर खरीदा जा रहा है, जो 5,450 रुपये प्रति क्विंटल है। किसानों का कहना है कि सरकार ने अभी तक खरीद शुरू नहीं की है, जबकि निजी क्षेत्र में 4,600 रुपये से 5,000 रुपये तक प्रति क्विंटल ख़रीदा जा रहा है।
किसानों ने सरकार से जल्द से जल्द खरीद प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है ताकि वे कम से कम एमएसपी पर अपनी उपज बेच सकें। कृषि मंत्री जेपी दलाल ने भिवानी में घोषणा की कि सरकार 28 मार्च से सरसों की खरीद शुरू करेगी।
इंद्री प्रखंड के खेड़ा गांव के किसान अजय कुमार ने कहा कि 2022 में निजी खरीददारों द्वारा 6,000 रुपये से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच सरसों की खरीद की गई थी, जबकि 2021 में 5,000 रुपये से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच खरीद की गई थी। 2021 में ऑफ सीजन के दौरान मैंने सरसों को 8,000 रुपये प्रति क्विंटल बेचा।
सरसों का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन इसकी खरीद 4,600 रुपये से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच की जा रही है जो कि कृषक समुदाय के लिए नुकसान है। खरीद मूल्य दिनों दिन नीचे आ रहा हैं। एक अन्य किसान जय सिंह ने कहा कि किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
फसल की औसत उपज में भारी गिरावट आई है क्योंकि जनवरी में चरम सर्दियों के मौसम के दौरान जमा देने वाली ठंड और जमीनी ठंढ के कारण इसे व्यापक नुकसान हुआ है। किसानों और कृषि विशेषज्ञों ने कहा था कि प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण औसत उपज गिरने की संभावना थी।
बता दें कि राज्य में 6.50 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की जाती है, जिसमें हिसार, भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और रोहतक प्रमुख सरसों उत्पादक जिले हैं। सरकार ने 2,100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की औसत उपज के साथ 13.65 लाख टन सरसों उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो लगभग 8.5 क्विंटल प्रति एकड़ है।
- With inputs from agencies