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प्रमोशन में एससी-एसटी को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, जानिए शीर्ष अदालत ने क्या कहा

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Vinod Kumar -- January 28th 2022 12:06 PM
प्रमोशन में एससी-एसटी को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, जानिए शीर्ष अदालत ने क्या कहा

प्रमोशन में एससी-एसटी को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, जानिए शीर्ष अदालत ने क्या कहा

दिल्ली: पदोन्नति में आरक्षण मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आरक्षण से पहले उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है। प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है। उस डेटा का मूल्यांकन किया जाना चाहिए कि कि उनके पास कितने रिक्त पद है जिन पर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आरक्षण दिया जा सकता है। हालांकि, केंद्र यह तय करे कि डेटा का मूल्यांकन एक तय अवधि में ही हो और यह अवधि क्या होगी यह केंद्र सरकार तय करे। कोर्ट ने कहा कि नागराज (2006) और जरनैल सिंह (2018) मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद शीर्ष अदालत कोई नया पैमाना नहीं बना सकती। केंद्र और राज्यों से जुड़े आरक्षण के मामलों में अधिक स्पष्टता के लिए 24 फरवरी से सुनवाई शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार कर दिया। आवधिक समीक्षा के बाद प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आंकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने विभिन्न राज्यों की ओर से पेश हुए अन्य वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुना था। केंद्र ने पीठ से कहा था कि यह सत्य है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी एससी/एसटी समुदाय के लोगों को अगड़े वर्गों के समान मेधा के स्तर पर नहीं लाया गया है।     Supreme Court refuses to extend loan moratorium period वेणुगोपाल ने दलील दी थी एससी और एसटी समुदाय के लोगों के लिए ग्रुप ‘ए’ श्रेणी की नौकरियों में उच्चतर पद हासिल करना कहीं अधिक मुश्किल है और वक्त आ गया है कि रिक्तियों को भरने के लिए शीर्ष न्यायालय को एससी, एसटी तथा ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के वास्ते कुछ ठोस आधार देना चाहिए।


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