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सौन्दर्य और शान्ति की वादियों में एक बेमिशाल ठिकाना, जिसे अंग्रेजों ने बनाया शिमला से 100 किमी दूर

शिमला उत्तर भारत में स्थित एक बेहद लोकप्रिय हिल स्टेशन है, इसे पहाड़ों की रानी शिमला के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ की वादियों की खूबसूरती और यहाँ के मौसम की तासीर को देखते हुए सन् 1864 से लेकर 1947 यानी भारत की स्वतंत्रतातक ब्रिटिश काल में यह ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई गई थी।

Written by  Jainendra Jigyasu -- March 18th 2023 01:51 PM -- Updated: March 18th 2023 03:16 PM
सौन्दर्य और शान्ति की वादियों में एक बेमिशाल ठिकाना, जिसे अंग्रेजों ने बनाया शिमला से 100 किमी दूर

सौन्दर्य और शान्ति की वादियों में एक बेमिशाल ठिकाना, जिसे अंग्रेजों ने बनाया शिमला से 100 किमी दूर

शिमला उत्तर भारत में स्थित एक बेहद लोकप्रिय हिल स्टेशन है, इसे पहाड़ों की रानी शिमला के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ की वादियों की खूबसूरती और यहाँ के मौसम की तासीर को देखते हुए  सन् 1864 से लेकर 1947 यानी भारत की स्वतंत्रतातक ब्रिटिश काल में यह ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई गई थी। मैदानी इलाकों की धूल मिट्टी से बचने के लिए अंग्रेजो ने शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था। शिमला में अंग्रेजों ने प्राकृतिक खुबसुरती के बीच ऐशोआराम की हर चीज़ बनाई।  शिमला से मीलों दूर भी अंग्रेजों ने अपने ठहरने की व्यवस्था की ओर अपने लिए एकांत में सौन्दर्य और शान्ति की वादियों में एक बेमिशाल ठिकाना बनाया।

शिमला से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर सरैन गांव में  1914 में अंग्रेजी काल में एक शानदार एक गेस्ट हाउस बनवाया गया। यह ठिकाना आज भी हसीन वादियों के सौंदर्य के बीच शान्ति और सुकून का अहसास कराता है। लकड़ी व पत्थर से बनाया गया यह गेस्ट हाउस काफी काफी खुला-खुला है। 12 फ़ीट ऊंचे व बड़े बड़े कमरों के रूप में बने इस गेस्ट हाउस में अंग्रेजो के समय की चीजें रखी हुई है। हालांकि इसमें दो कमरे है बाबजूद इसमें ऐशोआराम की सभी चीजें मौजूद है। गेस्ट हाउस के बाहर  खूबसूरत प्रांगण में बैठकर आप प्राकृतिक नज़रों का आनंद ले सकते हैं।


इस गेस्ट हाउस के बारे में इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि 1914 में जब हिमाचल में नाममात्र की सड़कें थी और चौपाल के इस क्षेत्र दुर्गम क्षेत्र में लोग भी न के बराबर रहते थे उस वक़्त अंग्रेजो ने ऐसी जगह की खोज कर एक आलीशान गेस्ट हाउस बना दिया ये दूरदर्शी सोच हमारे नेताओं में क्यों नही है? क्योंकि शिमला से 100 किलोमीटर दूर घोड़ों पर जाकर ऐसी छोटी सी जगह में रहने के लिए चुनोतियाँ कम नही होंगी। सबसे बड़ी बात तो ये है कि यदि शिमला से किसी ने चूड़धार की यात्रा करनी है तो इसी जगह से शुरू होती है।

ये गेस्ट हाउस अब वन विभाग के पास है। सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें अब पर्यटक भी आने लगे हैं। उसकी वजह ये है कि हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वर्षों पुराने अतिथि गृह पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं। जिसमें इस गेस्ट हाउस को भी शामिल किया गया है। अब सरैन (सराह) का ये गेस्ट हाउस कमाऊ पूत बन रहा है। सरकारी गेस्ट हाउस जो घाटे में चल रहे थे अब ऑनलाइन होने के बाद घाटे से उभरने लगे है।

पराक्रम चन्द्र 

- PTC NEWS

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