Wed, May 21, 2025
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हिमाचल का बिना छत वाला मंदिर, जहां बर्फ़ तो ख़ूब पड़ती है, लेकिन मूर्तियों पर आज तक नही टिक पाई बर्फ़

देवभूमि हिमाचल प्रदेश अपने आग़ोश में कई अनसुलझे रहस्यों को समेटे हुए है। यहां के मंदिर विश्वभर में अपनी एक अलग पहचान रखते है। मंदिरों में छिपे राज देवी देवताओं के प्रति गूढ़ आस्था को ओर अधिक गहरा बना देते है।

Reported by:  PTC News Desk  Edited by:  Jainendra Jigyasu -- March 12th 2023 10:47 AM -- Updated: March 12th 2023 10:58 AM
हिमाचल का बिना छत वाला मंदिर, जहां बर्फ़ तो ख़ूब पड़ती है, लेकिन मूर्तियों पर आज तक नही टिक पाई बर्फ़

हिमाचल का बिना छत वाला मंदिर, जहां बर्फ़ तो ख़ूब पड़ती है, लेकिन मूर्तियों पर आज तक नही टिक पाई बर्फ़

देवभूमि हिमाचल प्रदेश अपने आग़ोश में कई अनसुलझे रहस्यों को समेटे हुए है। यहां के मंदिर विश्वभर में अपनी एक अलग पहचान रखते है। मंदिरों में छिपे राज देवी देवताओं के प्रति गूढ़ आस्था को ओर अधिक गहरा बना देते है। ऐसा ही एक मंदिर है "शिकारी देवी माता का मंदिर" जो मंडी के करसोग की गगनचुंबी पहाड़ी पर मौजूद है। इस मंदिर की खासियत ये है कि 2850 मीटर की ऊंचाई पर स्थित शिकारी देवी मंदिर में आज तक कोई भी छत नहीं बना पाया। 

यदि किसी ने छत बनाई भी तो वह कभी टिक नही पाई। सर्दी के मौसम में ये पहाड़ी  बर्फ़ से पूरी तरह ढक जाती है। लेकिन भारी बर्फ़बारी के बाबजूद बर्फ़ माता शिकारी की मूर्तियों को कभी ढक नही पाई। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि मंदिर के ऊपर से न तो पक्षी और न ही कोई हेलीकाप्टर उड़ पाता है। जो आज भी रहस्य बना हुआ है। खूबसूरत जंगल के बीच मंदिर तक पहुंचने का रास्ता यात्रा को मनमोहक बना देता है। 


माना जाता है कि इस जगह पर मार्कंडेय ऋषि ने वर्षो तक घोर तपस्या की थी। ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा इसी जगह शक्ति रूप में प्रकट हुई थी और यहीं स्थापित हो गई। माना जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर को बनाया। लेकिन किसी वजह से इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो पाया। मां की पत्‍थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद पांडव यहां से चले गए। पांडवों ने यहां मां की आराधना कर युद्ध के लिए विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था। 

शिकारी देवी मंदिर जंजैहली से लगभग 18 किलोमीटर दूर है और वन का क्षेत्र सड़क से जुड़ा हुआ है। अप्रैल माह से मंदिर में  श्रद्धालु आना जाना शुरू हो जाएंगे। क्योंकि मंदिर के आसपास बर्फ पिघलने लगी है। भारी बर्फबारी के चलते नवंबर माह से लेकर मार्च तक यहां पर यात्रा को रोक दिया जाता है। कड़ाके की ठंड व भारी हिमपात से जंजैहली-माता शिकारी मंदिर सड़क भी जाम रहती है. लिहाजा बर्फबारी के बाद हर साल यहां मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। गर्मियों में यहां जाना और माता के दर्शन करने का अलग ही आनंद है।

 संवाददाता  :    प्रराक्रम  चंद्र 

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